नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल की कहानी 2008 में शुरु हुई। 2008 का साल राफ़ेल नडाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने उस साल ना केवल विंबलडन जीता बल्कि रोलां गैरों में भी अपना ख़िताब डिफेंड किया। नडाल इस साल एटीपी की टॉप रैंकिंग पर भी पहुंचे पहली बार। उन्होंने साल विश्व नंबर 1 के तौर पर ख़त्म किया। वैसे इस साल उन्होंने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल भी जीता। बीजिंग 2008 ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेल में उन्होंने पुरुष एकल का ख़िताब जीता। उन्होंने एक और गोल्ड मेडल जीता ओलिंपिक खेलों में, पर क्या खास बात थी इन मेडलों की ये बात करेंगे आज। आज की कहानी नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल की।
बीजिंग 2008 ओलंपिक्स: शुरुआती दौर मेडल दौड़ का
राफ़ेल नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है किसी भी खिलाडी के लिए। तो लीजिये शुरू करते हैं उनके पहले ओलिंपिक गोल्ड मेडल से। नडाल ओलिंपिक टेनिस टूर्नामेंट में दूसरी सीड थे। उन्होंने अपने पहले मैच में इटली के पोतितो स्टरेस का सामना किया जो मैच 3 सेट तक चला।
नडाल ने पहला और तीसरा सेट अपने नाम करके मैच अपने नाम किया। उसके बाद उनका सामना ऑस्ट्रेलिया के लेटन ह्यूइट से हुआ जो काफ़ी कठिन मैच आँका गया था। टेनिस पंडितों को इस मैच ने निराश किया क्यूंकि ये आसान मैच रहा नडाल के लिए और उन्होंने 2 सीधे सेटों में ये मैच जीत कर तीसरे मैच का रुख किया।
नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड में से पहले की राह का तीसरा मैच और सामने ईगोर अंदरीव रूस के। ये भी उन्होंने सीधे सेट्स में जीता और बेहद आसानी से। अब राफ़ा टूर्नामेंट के क्वार्टरफाइनल में थे और सामना था ऑस्ट्रिया के युर्गेन मेल्जर से। उन्होंने मेल्ज़र को पहले सेट में 6-0 से हराया और मैच सीधे सेट्स में जीत कर आगे बढे। अब वो टूर्नामेन्ट के उस चरण में थे जब नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड में से पहला केवल दो मैच दूर था।
पहला: नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल में से
कुछ सेट ही दूर थे नडाल अपने पहले ओलिंपिक स्वर्ण पदक से और ये कुछ सेट बेहद महत्वपूर्ण होने वाले थे। टॉप सीड रोज़र फ़ेडरर क्वार्टरफ़ाइनल में बाहर हो चुके थे और अब सामने थे राफ़ा के सबसे प्रबल विरोधी और तीसरी सीड नोवाक ज़ोकोवीख। ज़ोकोवीख भी मिशन गोल्ड मेडल के लिए तैयार दिख रहे थे। तो मतलब ये था कि आने वाले कुछ सेट में दमदार भिड़ंत होनी थी।
नडाल ने पहला सेट जीत लिया पर ज़ोकोवीख भी हार नहीं मानने वाले थे। उन्होंने दूसरा सेट जीत कर मैच बराबरी पर पहुंचा दिया। तीसरे सेट में लड़ाई और कांटे की हुई और इन दोनों ने एक दूसरे को इंच दर इंच परेशान किया। पर ये सेट नडाल ने जीत लिया। नोले टूटे हुए दिखे और ये वो समय था जब नेट के एक ओर दुःख और मातम था तो दूसरी ओर ख़ुशी और जश्न।
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नडाल अपने सपनों के काफ़ी क़रीब जो पहुँच गए थे। स्पेन के महान खिलाड़ी को बेस्ट ऑफ़ 5 में टूर्नामेंट का निर्णय मिलना था और सामने थे फर्नांडो गोंज़ालेज़ चिली के। गोंज़ालेज़ ने अमेरिका के जेम्स ब्लेक के विरूद्ध एक बेहद बढ़िया सेमीफाइनल खेला था। पर नडाल अपने बेहतरीन साल में थे और बेहतरीन लय में भी। मलोरका के इस दिग्गज ने खेल 3 सीधे सेट में अपनी झोली में डाल लिया। विंबलडन और रोलां गैरों के विजेता राफ़ेल नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल में से पहला उनके गले में लटक रहा था मेडल पोडियम पर।
दूसरा था युगल गोल्ड: नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल में से
तो अब शुरू करते हैं कहानी राफ़ेल नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल में से दूसरे की। ये कहानी कहती है नडाल की महानता की गाथा। ये कहानी है रियो ओलिंपिक की। आठ साल हो गए थे नडाल के पहले ओलिंपिक गोल्ड के जो आया था पुरुष एकल से। समय था स्पेन के लिए एक और ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतने का। हालाँकि इस बार उन्होंने ये युगल में पाया अपने पुराने दोस्त और पार्टनर मार्क लॉपेज़ के साथ।
ये जोड़ी ओलिंपिक टेनिस टूर्नामेंट की छठी सीड थी पुरुष युगल में। टूर्नामेंट शुरू हुआ डच रोबिन हास और जॉन रोज़र के ख़िलाफ़। उनसे पार पाके नडाल-लॉपेज़ अर्जेंटीना के ह्युअन मार्टिन देल पोत्रो–मैक्सिमो गोंज़ालेज़ की जोड़ी से टकराये। स्पेनिश जोड़ी ने अर्जेंटीन जोड़ी को 3 कांटे की टक्कर वाले सेट में हरा दिया। अब वो क्वार्टरफाइनल में थे, गोल्ड मेडल से बस 3 जीत दूर।
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नडाल-लॉपेज़ ने अगले मैच में ऑस्ट्रिया के अलेग्ज़ेंडर पेया और ओलिवर मराश की जोड़ी को सीधे सेटों में हराया। सेमीफाइनल में उनकी जोड़ी को कनाडा के डैनियल नेस्टर और वासेक पोस्पीसिल की जोड़ी से कड़ी टक्कर मिली। मैच 2 बार टाई-ब्रेक के लिए गया, जो हालांकि स्पेनिश जोड़ी ने जीता दोनों बार।
टूर्नामेंट निर्णायक मैच था सामने, ओलिंपिक टेनिस फ़ाइनल और नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड में से दूसरे के कदम दूर। फ़ाइनल में स्पेनिश जोड़ी का सामना हुआ रोमानिया के फ़्लोरिन मर्गिया और होरिया टेशाउ की जोड़ी से। ये मैच भी 3 सेट तक गया जिसमे नडाल-लॉपेज़ ने पहला और तीसरा सेट अपने नाम करके पोडियम का सबसे ऊँचा स्थान अपने नाम किया। उन्होंने फ़ाइनल कदम भी जीत लिया था और जीता था अपने देश के लिए गोल्ड मेडल। अब नडाल के पास एकल और युगल दोनों ही गोल्ड थे। और ये थी कहानी नडाल के 2 ओलिंपिक गोल्ड मेडल की।
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