टेनिस में ढेर सारी महान उपलब्धियां रही हैं 50 साल के ओपन एरा में। ओपन एरा 1968 के समय शुरू हुआ वो समय था जबसे प्रोफेशनल खिलाड़ी शौक़िया तौर पर टेनिस खेलने वाले खिलाड़ियों के साथ खेल सकते थे। रॉड लेवर का कैलेंडर स्लैम, राफ़ेल नडाल का रोलां गैरों में ला डेसिमा और मार्गरेट कोर्ट का ऑस्ट्रेलियन ओपन में दबदबा सबको याद आ जाते हैं। पर कोई भी टेनिस खिलाड़ी ने एक टेनिस सीज़न को इतना प्रभावित नहीं किया जितना महान जर्मन खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ ने 1988 को किया। ये वो साल था जब आया स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल भी।
महान महिला टेनिस खिलाड़ी, जिन्हें प्रशंसक और टेनिस पंडित फ्राउलें फोरहैंड के नाम से पुकारते रहे हैं, ने उस साल चारों ग्रैंड स्लैम जीते थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व में एक और कालजयी उपलब्धि जोड़ी उस साल- हाँ उसी साल आया स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल जो उन्होंने जर्मनी के लिए जीता सियोल में। एक साल में ये पांच जीत करियर गोल्डन स्लैम नाम से जानी जाती है- मतलब चारों ग्रैंड स्लैम और ओलिंपिक गोल्ड मेडल।
ये उपलब्धि उनसे पहले किसी भी टेनिस खिलाड़ी ने नहीं पायी थी। ये उपलब्धि उनके बाद भी कभी किसी भी टेनिस खिलाड़ी ने प्राप्त नहीं की। आज चलते हैं फिरसे उनके उस साल की यात्रा पर, जिस साल आया था स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल। आइये बात करते हैं अंतर्राष्ट्रीय टेनिस के हॉल ऑफ़ फ़ेम की महानतम हस्तियों में एक की कहानी एक साल की, जिन्होंने खेल पर काफ़ी साल तक दबदबा बना कर रखा था।
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सियोल में स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल
किसने सोचा होगा कि ये ओलिंपिक स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल लाने वाला था। 1988 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेल सियोल में हुए थे दक्षिण कोरिया में। स्टेफी ग्राफ तब डब्ल्यूटीए टेनिस की विश्व नंबर एक खिलाड़ी थीं महिला एकल की। और इस लिहाज़ से वो ओलिंपिक टेनिस की टॉप सीड थीं। फर्स्ट राउंड में बाई मिलने के बाद इस जर्मन खिलाड़ी ने सामना किया जॉर्जिया की लीला मसखी का। मसखी ने मुक़ाबले को कठिन तो बनाया पर ग्राफ ने उनको हरा दिया।
तो ग्राफ ओलिंपिक टेनिस टूर्नामेंट के तीसरे राउंड में पहुँच चुकी थीं। क्या इस दौर में भी ये समझा जा सकता था की ये स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल लाने वाला ओलिंपिक था। तीसरे राउंड में उनके सामने थीं फ़्रांस की कैथरीन सुइरे जिन्हें ग्राफ ने बुरी तरह हरा दिया और ऐसा कि उन्हें दूसरे सेट में बेगल दिया स्टेफी ने। फिर आया क्वार्टरफ़ाइनल लारिसा नीलैंड के ख़िलाफ़।
ये मैच काफ़ी कठिन मुक़ाबला रहा और 3 सेट में भी गया। स्टेफी ने पहला और तीसरा सेट जीत कर मैच को आगे जाने से रोक दिया या यूँ कहें तो जीत लिया। अब वो उस क्षण से 2 मैच दूर थीं जो लाने वाला था स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल।
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सेमीफ़ाइनल मैच ख़िताब और ओलिंपिक मेडल से कुछ कदम दूर जर्मनी की इस सुपरस्टार के लिए काफ़ी आसान रहा। उनके सामने अमेरिका की जीना गैरिसन थीं जिनको उन्होंने मैच में ज्यादा कुछ करने नहीं दिया। ग्राफ ने गैरिसन के ऊपर शुरुआत से ही इतना दबाव बना दिया जो मैच के ख़त्म होने पर ही ख़त्म हुआ। उन्होंने अमरीकी खिलाड़ी को दूसरे सेट में बेगल दिया और मैच सीधे सेटों में जीत लिया। और बस दो ही मैच हारे इस दौरान ।
फ़ाइनल में स्टेफी का मुक़ाबला था टूर्नामेंट की तीसरी सीड अर्जेंटीना की गाब्रिएला सबातिनि से। उन्होंने सबातिनि को सीधे सेटों में हरा दिया और मैच का आख़िरी स्कोर रहा 6-3,6-3। अब उन्होंने अपना करियर स्वर्णिम बना दिया था सियोल में, ओलिंपिक का सबसे शीर्ष पुरस्कार जीत कर। हां ये था स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल क्षण।
स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल के बाद कैलेंडर स्लैम
वो स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल ही नहीं था 1988 में जिसे उन्होंने इस साल प्राप्त किया था। उस समय की 19- साल की ये जर्मन टेनिस की नायिका ने सभी चार ग्रैंड स्लैम जीते थे इसी साल। ये महान उपलब्धि कैलेंडर ग्रैंड स्लैम कहलाती है। ग्राफ ने तब तक केवल एक ही मेजर ट्रॉफी जीती थी। और अब उन्होंने 9 महीने में 4 ट्रॉफी अपने नाम कर ली थी। तो जिस साल स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल आया, उसी साल उनका कैलेंडर स्लैम भी आया।
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ग्राफ ने ऑस्ट्रेलियन ओपन 1988 बिना एक भी सेट हारे जीता था। टाइटल जीत के रास्ते में इस विश्व नंबर एक ने अपने 2 प्रतिरोधियों को एक एक बेगल थमाया। फ़ाइनल में इस जर्मन खिलाड़ी ने अपनी चिर प्रतिद्वंदी अमेरिकी क्रिस एवर्ट, जो टूर्नामेंट में तीसरी सीड थीं, को हराया। 1988 के फ्रेंच ओपन में स्टेफी ख़िताब की रक्षा कर रहीं थीं।
उनके प्रतिद्वंदियों को उन्होंने उस पूरे टूर्नामेंट डरा रखा था और 6 बेगल पकड़ाए थे अपने प्रतिद्वंदियों को। फ़ाइनल में तो उन्होंने इससे भी बड़ा अजूबा किया। उन्होंने सोवियत यूनियन की नताशा ज़्वरेवा को 6-0, 6-0 के स्कोर से हराया। मतलब पस्त, नेस्तनाबूत। 1988 का स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा था ना केवल उनके लिए, बल्कि महिला एकल टेनिस के लिए भी।
उसके बाद स्टेफी विंबलडन की घास कोर्ट पर आयीं अगले स्लैम के लिए। स्टेफी इस टूर्नामेंट में भी आगे बढ़ती रहीं और बेगल थमाती रहीं प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों को। फ़ाइनल में उनके सामने थी 6 बार की विजेता मार्टिना नवरातिलोवा और पहले सेट के बाद लगा कि स्टेफी यहीं रुक जाएँगी। स्कोर था 7-5 और ये सेट जीती थीं नवरातिलोवा पर ये स्टेफी थीं। उन्होंने अगले दो सेट 6-2 और 6-1 की एकतरफ़ा स्कोर से जीत कर मैच अपने नाम कर लिया। अब वो घास के कोर्ट की रानी थीं। ये सीज़न ही ऐतिहासिक था उनके लिए। तो जिस साल आया स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल, उसी साल आयी उनकी विंबलडन ट्रॉफी।
जर्मन सितारा अब यूएस ओपन के लिए अमेरिका में थीं, और वो पीछा कर रहीं थी और भी बड़ा इतिहास। उन्होंने इतहास लिख ही डाला न्यूयॉर्क में ट्रॉफी जीत कर। ग्राफ को वॉकओवर मिला सेमीफाइनल में जब टूर्नामेंट की तीसरी सीड क्रिस एवर्ट ने अपना नाम वापस ले लिया। फिर विश्व नंबर 1 इस जर्मन महान खिलाड़ी ने टूर्नामेंट की चौथी सीड अर्जेंटीना की गाब्रिएला सबातिनि को हराया।
तो अब वो चारों ग्रैंड स्लैम भी जीत चुकीं थीं इस साल और इस साल आया था स्टेफी ग्राफ का ओलिंपिक गोल्ड मेडल। टेनिस के इतिहास में एक नया सितारा उदित हुआ था जिसने आगे महिला टेनिस को काफ़ी आगे लाया। इस साल की टेनिस इतिहास के किसी साल से बराबरी नहीं की जा सकती क्यूंकि इस साल का इतिहास ही ऐसा रहा था।
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स्टेफी ग्राफ दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में से एक थीं। कुछ टेनिस पंडित तो उन्हें टेनिस का महानतम खिलाड़ी भी मानते हैं। उन्होंने अपने बेहद सफल करियर में 22 एकल ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीते। वो महिला और पुरुष टेनिस मिलाकर एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने सारे ग्रैंड स्लैम कम से कम 4 बार जीते हैं। ये जर्मन महान डब्ल्यूटीए टेनिस की विश्व नंबर 1 रही हैं रिकॉर्ड 377 सप्ताह के लिए। उनका करियर बेहद सफल और कहानीमय था और वो टेनिस की महान बनीं।
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— SportsCrunch (@SportsCrunch) April 22, 2020