क्रिकेट के खेल ने आज के दौर में विश्व में धूम मचाई है। जहाँ खेल पंडित टेस्ट क्रिकेट को खेल का असली फॉर्मेट कहते हैं, एकदिवसीय क्रिकेट ने खेल को उसके जायज़ मुक़ाम तक पहुँचाया है। खेल का पहला विश्व चैंपियनशिप 1975 में हुआ था और इसे प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 के नाम से जाना जाता है।
पखवाड़े तक चलने वाले इस महा-टूर्नामेंट की मेज़बानी इंग्लैंड ने की थी जोकि खेल की शुरुआत का देश था। और फिर तब की बेहद मज़बूत टीम वेस्टइंडीज़ ने गौरव पाया प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 के चैंपियन या पहले विश्व चैंपियन का। आज, जब कोरोना वायरस ने खेल को रोक रखा है, हम ले जाते हैं आपको 1975 और प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 की यादों में।
कम्पटीशन प्रारूप और टीमें
क्रिकेट का पहला एकदिवसीय मैच 1971 में ऑस्ट्रेलिया में खेला गया था। उससे क़रीबन चार साल बाद दुनिया की 8 सर्वश्रेष्ठ टीमें एक टूर्नामेंट में साथ आयीं खेल के पहले वैश्विक प्रतियोगिता में। इन टीमों को चार टीम के दो ग्रुप में रखा गया था। प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 में खेल का प्रारूप था कि हरेक टीम को अपने ग्रुप के दूसरी सभी टीम के साथ एक बार खेलना था। दोनों ग्रुप की शीर्ष दो टीमें नॉक आउट खेलती जहाँ के विजेता फ़ाइनल खेलते। और उस मैच में ख़िताब के दावेदार तय होते।
आज के एकदिवसीय क्रिकेट से अलग, खेल 60 ओवर के दो इनिंग में बंटा था। और आज जैसे दो गेंदें भी नहीं थे तब शुरुआत के लिए। और भी कई बदलाव रहे एकदिवसीय में, जो बाद के सालों में प्रभाव में आये, जिन्होंने खेल को प्रभावित किया। टूर्नामेंट में चार स्टेडियम इस्तेमाल हुए थे लॉर्ड्स, ओवल, नॉटिंघम और लीड्स।
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भारतीय टीम श्रीनिवासराघवन वेंकटराघवन के नेतृत्व में प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 गयी थी। वेंकटराघवन, जो भारत की बहुप्रसिद्ध स्पिन क्वार्टेट के भाग थे, रिटायरमेंट के बाद भारत की ओर से अंपायरिंग करियर में जाने और प्रतिष्ठा कमाने वाले आईसीसी अंपायर बने। टूर्नामेंट का पहला मैच भारत और मेज़बान इंग्लैंड के बीच खेला गया जिसे इंग्लैंड ने 202 रनों के विशाल अंतर से जीत लिया।
इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड ने ग्रुप ए के शीर्ष दो स्थान लिए। मेज़बान इंग्लैंड ने जहाँ अपने तीनों लीग मैच जीते, न्यूज़ीलैंड ने दो में जीत पायी। ग्रुप बी में वेस्टइंडीज़ टेबल टॉपर रही 3 जीत के साथ, जबकि ऑस्ट्रेलिया 2 जीत के साथ दूसरे नंबर पर रही। अब इन शीर्ष चार टीमों को प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 का नॉक आउट खेलना था।
प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 सेमीफ़ाइनल
पहला सेमीफ़ाइनल खेला गया ऑस्ट्रेलिया और मेज़बान इंग्लैंड के बीच। कंगारू टीम ने ये मैच जीत लिया उनके एक खिलाड़ी गैरी गिलमोर के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत। इस खब्बू हरफ़नमौला खिलाड़ी ने मैच जिताऊ अंतर लाया दोनों टीमों के बीच। उन्होंने पहले खेलती इंग्लैंड के 6 विकेट झटके और इंग्लैंड को 93 रनों के मामूली स्कोर पर आउट कर दिया। और फिर जब इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष 6 बल्लेबाज़ आउट कर दिए, तब नाबाद 28 रन बनाकर अपनी टीम को ऐतिहासिक पहले फ़ाइनल में पहुँचाया विश्व कप के, प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 सेमीफ़ाइनल जीत के।
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वेस्टइंडीज़ प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 की सबसे मज़बूत टीम थी। उन्होंने ऐसा ही जज़्बा दिखाया था सेमीफ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़। कैरिबियाई तेज़ गेंदबाज़ों का जवाब ही नहीं था कीवी टीम के बल्लेबाज़ों के पास और वो 52 ओवरों में महज़ 158 पर आउट हो गए। कैरिबियाई तेज़ गेंदबाज़ तिकड़ी बर्नार्ड जूलियन, एंडी रॉबर्ट्स और वंबर्न होल्डर ने न्यूज़ीलैंड के 10 में से 9 विकेट झटके। अपनी बल्लेबाज़ी के समय वेस्टइंडीज़ ने बिना किसी तक़लीफ़ के ये लक्ष्य भेद दिया। गॉर्डन ग्रीनिज़ और एल्विन कालीचरण ने 125 रनों की दूसरे विकेट की साझेदारी से मैच को अपनी तरफ झुकाया तो वेस्टइंडीज़ ने ये मैच 40 ओवरों में 5 विकेट से जीत लिया।
वेस्टइंडीज़ बनी विश्व विजेता
वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया जो प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 के लीग मैच में एक दूसरे के ख़िलाफ़ खेल चुके थे ओवल के मैदान पर, आज लॉर्ड्स में खेल रहे थे एक दूसरे के विरुद्ध। क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में हुआ फ़ाइनल मैच। दोनों ओर बेहतरीन बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ भरे थे और मैच रोमांचक होने का अंदेशा था। वेस्टइंडीज़ ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया पर उनका फैसला उस समय गलत साबित होता लगा जब उन्होंने महज़ 50 रन पर 3 विकेट खो दिए थे।
उनको जरुरत थी एक प्रेरणादायक पारी की और ऐसी पारी आयी उनके कप्तान की। क्लाइव लॉयड जब बल्लेबाज़ी को आये तो हालत ख़स्ता थी उनके टीम की। ऐसे मौके ही महानता की कहानी लिखते हैं और इस महान बल्लेबाज़ ने अपने एकदिवसीय करियर की सबसे बेहतरीन पारी खेल डाली। लॉयड ने 85 गेंदों पर 102 रनों की आतिशी पारी खेली और टीम एक सम्मानित स्कोर की ओर ले गए। वेस्टइंडीज़ ने अपनी पारी में 291 रन बनाये।
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लक्ष्य का जवाब देने उतरी ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अच्छी शुरुआत की पर बराबर विकेट खोते रहे। उनके कप्तान इयान चैपल ने 62 रनों की पारी खेली पर टीम को संभाल नहीं पाए। दसवें विकेट के लिए 41 रनों की जेफ़ थॉमसन और डेनिस लिली की साझेदारी ऑस्ट्रेलिया टीम को जीत के काफ़ी क़रीब ले गई। पर वो मैच जीत नहीं पाए और 59 ओवर में 277 रनों पर सीमित हो गए। उस समय उन्हें 8 गेंदों पर 17 रनों की दरक़ार थी। और इस तरह वो वनडे क्रिकेट के पहले विश्व विजेता बने, प्रुडेंशियल विश्व कप 1975 जीत कर।
क्लाइव लॉयड की इस टीम में टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट को करीबन एक दशक भर अपने पाले में रखा। उन्होंने न केवल महानतम बल्लेबाज़ी क्रम बनाया पर महानतम गेंदबाज़ी लाइन उप भी बनाया। कैरिबियाई टीम ने एक भी विश्व कप मैच नहीं हारा तब तक जब तक एक कपिल देव की टीम ने विश्व क्रिकेट को सकते में ला दिया विश्व कप फ़ाइनल में इस महान टीम को हराकर। और वो हार एक नए दौर की शुरुआत का अंदेशा थी।
#स्पोर्ट्सक्रंच: सबसे बेहतर कप्तान कौन महेंद्र सिंह धोनी या कपिल देव? @msdhoni v @therealkapildev https://t.co/611QmUeIuG
— SportsCrunch (@SportsCrunch) June 4, 2020