आज का दिन भारत और भारतीय हॉकी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। और महत्वपूर्ण है ये दिन आपके और हमारे जैसे लाखों खेल प्रेमियों के लिए। आज के दिन ही भारत ने 1928 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में हॉकी का गोल्ड मेडल जीता था फ़ाइनल में नीदरलैंड को हरा कर। भारतीय हॉकी में 26 मई भारत के पहले ओलिंपिक गोल्ड की याद से जुड़ा है इस तरह।
ओलिंपिक खेल
यूँ तो ओलिंपिक खेलों का इतिहास काफ़ी पुराना रहा है पर मॉडर्न ओलिंपिक खेलों तक पहुँचने और अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक महासंघ के बनने के पहले तक यह खेल यूनान तक ही सीमित रहा है। 1896 में ओलिंपिक खेलों का वो पहला संस्करण हुआ जो वैश्विक था। इसमें 14 देशों ने भाग लिया था।
उसके बाद से हर 4 साल पर ओलिंपिक खेलों का आयोजन होता रहा है कुछेक संस्करणों के साल छोड़ कर, जैसे कि प्रथम विश्व युद्ध के समय के 1916 ओलिंपिक खेल जो बर्लिन में होने थे और दूसरे विश्व युद्ध के समय के 1940 और 1944 ग्रीष्मकालीन खेल। हालिया किस्सा टोक्यो ओलिंपिक खेलों का है जो 2020 में होने थे पर अब 2021 में होंगे, वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से।
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भारतीय हॉकी में 26 मई के किस्से की पृष्ठभूमि
भारत का ओलिंपिक पदार्पण तो 1900 ग्रीष्मकालीन खेलों में हो चुका था जब नार्मन प्रिचार्ड ने भारत के लिए दो पदक जीते थे, दोनों सिल्वर मेडल एथलेटिक्स में आये थे। भारत का चौथा ओलिंपिक था सन 1928 का ग्रीष्मकालीन खेल। फ़ील्ड हॉकी के लिहाज़ से भारत का ये पहला ओलिंपिक था और इस खेल का तीसरा।
भारतीय हॉकी में 26 मई के किस्से की सबसे रोचक बात शायद ये रही होगी कि ये भारतीय हॉकी का ओलिंपिक पदार्पण का संस्करण था और आगे जाकर ये भारतीयों के लिए गर्व करने का एक सिलसिला शुरू करने वाला था। और हो भी क्यूँ न, इस खेल ने भारत को 12 ओलिंपिक मेडल दिये जिनमे आठ गोल्ड मेडल थे।
तब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ था और अविभाजित भारत अंग्रेज़ों के अधीन था। भारत में फ़ील्ड हॉकी की शुरुआत का श्रेय अंग्रेज़ों को ही जाता है। ख़ैर बिना भटके इस बात पर आते हैं कि कैसे भारतीय हॉकी में 26 मई एक ऐतिहासिक दिन बना। भारतीय टीम की घोषणा हुई और जयपाल सिंह के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम एम्स्टर्डम 1928 ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए रवाना हुई। भारतीय टीम में अन्य खिलाड़ी थे: रिचर्ड एलन, माइकल गेट्ले, विलियम गुडसर-कलेन, जॉर्ज मारथिंस, रेक्स नॉरिस, लेस्ली हेमंड, माइकल रोस्क, फ्रेड्रिक सीमैन, ब्रूम पिनिगर, सईद युसूफ, फ़िरोज़ खान, खैर सिंह गिल, अली शौकत और ध्यान चंद।
ओलिंपिक फ़ील्ड हॉकी टूर्नामेंट में 9 टीमों ने भाग लिया था जो थीं- भारत, बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन। इन टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया था कुछ ऐसे: एक ग्रुप में भारत, बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया की टीमें थीं तो दूसरे में नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन।
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भारत ने ग्रुप मैचों में ऑस्ट्रिया को 6–0 से, बेल्जियम को 9–0 से, डेनमार्क को 5–0 से और स्विट्ज़रलैंड को 6–0 से हराकर गोल्ड मेडल मैच में प्रवेश किया। वहीं नीदरलैंड की टीम ने फ़्रांस को 5–0 से, जर्मनी को 2–1 से हराकर और स्पेन से 1–1 की बराबरी करके फ़ाइनल में प्रवेश किया।
भारतीय हॉकी में 26 मई:
भारत ओलिंपिक खेलों के फ़ील्ड हॉकी टूर्नामेंट के फ़ाइनल में था और ये ही है भारतीय हॉकी में 26 मई का ऐतिहासिक दिन। एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि भारत ने फ़ाइनल तक के सफ़र में विपक्षी टीमों को कोई भी गोल करने नहीं दिया था जो भारतीय रक्षा पंक्ति और गोलकीपर के बारे में काफ़ी कुछ कहता है। ध्यान चंद, जो आगे जाकर फील्ड हॉकी के महानतम खिलाड़ी कहे गए, ने अब तक 11 गोल किये थे।
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भारतीय हॉकी में 26 मई का ये दिन एक और एकतरफ़ा जीत लेकर आया और ध्यान चंद के हैट्रिक की मदद से भारत ने नीदरलैंड को 3-0 से हरा दिया। और ध्यान चंद हॉकी खेल के महानायक बनने की ओर आगे बढ़े। इस संस्करण में भारतीय हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने 14 गोल किये जिसमें 3 हैट्रिक और एक मैच में 4 गोल थे। पांच मैचों में एक ही मैच था जिसमें उन्होंने केवल एक गोल किया था। जर्मनी ने इस संस्करण का कांस्य पदक जीता था।
तो ये था भारतीय हॉकी में 26 मई का इतिहास, जिसने ना केवल भारत को सर्वोच्च शिखर दिखाया, बल्कि मेजर ध्यान चंद को भी खेल में स्थापित किया महान खिलाड़ी के तौर पर। और इस दिन ने नीदरलैंड को रजत और जर्मनी को कांस्य पदक दिया।
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— SportsCrunch (@SportsCrunch) May 18, 2020