क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो बल्ले और गेंद के साथ खेला जाता है, लेकिन इस खेल का परिणाम गेंद और पिच पर भी निर्भर करता है। इस खेल में इस्तेमाल होने वाले गेंदें अलग-अलग प्रकार से बनी होती है। कुछ गेंद स्पिनर को मदद करती है और गेंद सीमर्स को मदद करती हैं। इस लेख में हम टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंदों के बारे में बात करेंगें।
गेंद का वजन
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क्रिकेट पुरुष और महिला दोनों में खेला जाता है। वही पुरुषों की क्रिकेट गेंद का वजन 155.9 और 163 ग्राम के बीच होता है। मेलबर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) समिति यह तय करती है कि क्रिकेट खेल में किस गेंद का इस्तेमाल किया जाएगा।
क्रिकेट गेंद के 3 मुख्य निर्माता हैं:
1. कूकाबुरा (Kookaburra)
2. ड्यूक (Duke)
3. एसजी (SG)
विस्तार से जानते हैं;
1.कूकाबूरा बॉल्स (Kookaburra Balls)
1890 में कूकाबूरा कंपनी की स्थापना हुई थी। वहीं क्रिकेट बॉल के लिए कूकाबूरा कंपनी पिछले 129 सालों से कर रही है। इस कपंनी की गेंद को विश्व भर में नंबर 1 माना जाता है। यह कंपनी बॉल के अलावा क्रिकेट का अन्य सामान भी बनाती है।
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कूकाबूरा की गेंद को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एक फैक्ट्री में बेहतरीन कच्चे माल और आधुनिक तकनीकी के प्रयोग से बनाया जाता है। लाल कूकाबूरा गेंद का वजन 156 ग्राम होता है। इस बॉल का उपयोग क्रिकेट के सभी फोर्मेट में किया जाता है।
इन देशों में कूकाबूरा गेंदों का इस्तेमाल किया जाता है।
1. ऑस्ट्रलिया
2. दक्षिण अफ्रीका
3. श्रीलंका
4. पाकिस्तान
5. न्यूज़ीलैण्ड
2. ड्यूक बॉल्स (Duke Balls)
1970 में ‘टोनब्रिज’ में ड्यूक्स क्रिकेट बॉल का उत्पादन शुरु हुआ था। ये बॉल कूकाबुरा की तुलना में गहरे रंग की होती हैं। इस गेंद की अच्छी खासियत ये हैं कि ये गेंद दुसरी गेंदों की तुलना में अधिक समय तक नई रहती हैं। साथ ही ये गेंद सीमर्स को अधिक हेल्प करतीं हैं। इन गेंदों की सीम 50 से 56 ओवर तक अच्छी रहती है जिसके कारण फ़ास्ट बॉलर को गेंद को स्विंग कराने में आसानी होती है, और वहीं अन्य गेंदों की तुलना में ये गेंदें ज्यादा उछलती हैं।
कौन से देश इसका उपयोग करते हैं;
1. इंग्लैंड
2. वेस्ट इंडीज
3. SG बॉल (SG Balls)
1931 में सन्सपेरिल्स कंपनी की स्थापना भाई केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद ने सियालकोट में की थी। साल 1991 में बीसीसीआई ने SG गेंद को टेस्ट क्रिकेट में मंजूरी दी। तब से, भारत में टेस्ट इस गेंद के साथ खेले जाते हैं।