जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं महान क्रिकेट को कि आज महान सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन है। क्रिकेट के भगवान् सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाज़ी ने जहाँ ना केवल क़िले ध्वस्त किये हैं कीर्तिमानों बल्कि कीर्तिमानों क़िले दर क़िले बनाये भी हैं। सचिन जहाँ बल्ले से ताबड़तोड़ रन बनाने के कारण हरदिल अज़ीज़ रहे हैं, उनकी गेंदबाज़ी ने भी कई मुश्किलों से उबारा है भारतीय टीम को। आज बात सचिन की जादुई गेंदबाज़ी की। आज बात सचिन के जादू की, पर गेंद से।
भारत ने की पहले बल्लेबाज़ी
तारीख़ 1 अप्रैल 1998 की, मैच भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया और मैदान नेहरू स्टेडियम कोच्ची। ये मैच 1998 में पेप्सी त्रिकोणीय श्रृंखला में खेला गया था जिसकी तीसरी टीम थी ज़िम्बाब्वे। मूर्ख दिवस को हुए इस मैच में टॉस भारतीय कप्तान मो. अज़हरुद्दीन ने जीता था। टॉस जीतकर भारत ने पहले खेला और अजय जडेजा के नाबाद शतक (109 गेंदों में 105, 12 चौकों की मदद से), अज़हर के बड़े अर्धशतक (91 गेंदों में 82, 10 चौकों की मदद से) और हृषिकेश कानिटकर के अर्धशतक (55 गेंदों में 57, 6 चौकों की मदद से) की मदद से 309 रनों का स्कोर खड़ा किया अपने 50 ओवरों से।
इन तीनों के अलावा केवल कांबली ही थे जिन्होंने दहाई का आंकड़ा पार किया था। उन्होंने 32 गेंदों में 33 रनों की पारी खेली थी 5 चौकों की मदद से। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर बल्ले से जादू दिखने में असमर्थ रहे थे और केवल 8 रन ही बना पाए थे 11 गेंदों से। ऑस्ट्रेलिया के लिए माइकल कास्प्रोविज़ ने सबसे ज्यादा 3 विकेट झटके थे, जबकि डेमियन फ्लेमिंग और डेमियन मार्टिन ने एक एक शिकार बनाये थे।
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निराश ना हों कि सचिन चल नहीं पाए फिर भी मैं ये कहानी लेके आया कि आज तो सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन है। कुछ कारण है इसलिए ही मैंने ये कहानी चुनी है आपके लिए। और वो कारण आपको पता चलेगा भारत की गेंदबाज़ी के विवरण में, सचिन की जादुई गेंदबाज़ी के विवरण में।
कंगारू लक्ष्य के पीछे और भारत की गेंदबाज़ी उनके पीछे
309 रन ज़्यादा नहीं थे कंगारू टीम के लिए जिनके पास बल्लेबाज़ी के उच्च क्रम में गिलक्रिस्ट, मार्क वॉ और पोंटिंग की आक्रामकता हो और मध्य क्रम में बेवन और स्टीव वॉ सरीखे मैच जिताऊ खिलाड़ी। जरुरत थी बेहद बढ़िया गेंदबाज़ी की और बाकी कुछ भाग्य की। बढ़िया गेंदबाज़ी भी देखी भारतीय खेल प्रेमियों ने और देखी सचिन की जादुई गेंदबाज़ी।
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लक्ष्य का पीछा करती कंगारू टीम की पारी की शुरुआत करने आये सलामी बल्लेबाज़ मार्क वॉ और ऐडम गिलक्रिस्ट। दोनों ने पहले विकेट के लिए 100 से ज़्यादा रन बना डाले और लगने लगा कि भारत सीरीज़ का पहला मैच हारने की तरफ जा रहा है। कुछ ऐसा ही ताबड़तोड़ खेल दिखाया था गिलक्रिस्ट ने। बहरहाल 12वें ओवर में भारत को पहली सफलता मिली जब जवागल श्रीनाथ ने अगरकर के हाथों लपकवाकर मार्क वॉ को चलता किया। मार्क ने 31 गेंदों में 28 रनों की पारी खेली थी। अगरकर ने अपना करियर इस मैच से ही शुरू किया था।
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भारत ने जश्न मनाया ही था कि जश्न को दोहरा कर दिया अजित अगरकर ने। उन्होंने गिलक्रिस्ट को कप्तान अज़हर के हाथों लपकवा कर कंगारू टीम को दूसरा झटका दिया। गिलक्रिस्ट जब आउट हुए तो उन्होंने 10 चौके और एक छक्के की मदद से 45 गेंदों में 61 रन बनाये थे। पिच पर थे रिकी पोंटिंग और विश्व के सबसे बड़े फिनिशर माइकल बेवन। पोंटिंग चल नहीं पाए और फिरकी गेंदबाज़ कानिटकर की गेंद पर अज़हर के हाथों लपके गए। कंगारू टीम को तब जीत के लिए 167 रनों की दरकार थी 150 गेंदों से।
सचिन की जादुई गेंदबाज़ी
बेवन और कप्तान स्टीव वॉ, जो पोंटिंग के विकेट के पतन पर पिच पे आये थे, टिकने लगे थे, पर सचिन की जादुई गेंदबाज़ी भी अभी बाकी थी। सचिन आये भी और उन्होंने कंगारुओं को रोका भी, टोका भी और ठोका भी। कुछ ऐसा ही हुआ तब। साठ रनों की साझेदारी करके बेवन-वॉ ने मैच में पकड़ ला दी थी कंगारुओं की, और 203 रन थे 32वें ओवर में । पर होनी तो भगवान् के हाथ थी और क्रिकेट का भगवान् अब गेंदबाज़ के रूप में था। हाँ अब सचिन की जादुई गेंदबाज़ी होनी थी।
सचिन की तीसरी गेंद ने स्टीव वॉ को चलता किया जो उनकी फिरकी में फंस कर उनके ही हाथों लपके गए। फिर आये डैरेन लेमन जो स्पिन के अच्छे बल्लेबाज़ माने जाते थे। पर ये सचिन थे और थी सचिन की जादुई गेंदबाज़ी। लेमन स्कोर में ज़्यादा इज़ाफ़ा नहीं कर पाए और सचिन की गेंद पर पगबाधा आउट हुए। स्कोर था 223 और पिच पर साथ थे अब बेवन और हरफनमौला टॉम मूडी। इन दोनों ने स्कोर को आगे बढ़ाना शुरू किया।
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स्कोर हुआ 239 पर 5 कि बेवन सचिन के माया जाल में फंस कर रवाना हो गए। बेवन ने रनगति में तेज़ी लाने की कोशिश करनी शुरू की थी कि सचिन की जादुई गेंदबाज़ी के शिकार हुए। क्रीज़ से आगे बढे बेवन को छकाती गेंद सरमाया हुई नयन मोंगिया के दस्तानों में, जिन्होंने बिना समय लगाए गिल्लियां बिखेर कर बेवन को पवेलियन का रास्ता दिखाया।
Also bowled a fun last over in a semi-final match against South Africa at Eden Gardens! What a high pressure match that was, @ICC! ?#MeAt20 https://t.co/7pQPPIIsZ9
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) April 21, 2020
बेवन 82 गेंदों पर 65 रनों की पारी खेलकर विदा हुए थे पिच से सचिन का तीसरा शिकार बनके। अगले 6 गेंदों पर मूडी ने 14 रन जोड़ डाले शेन वार्न के साथ। पर फिर मूडी हुए शिकार सचिन की फिरकी के। वो भी स्टम्प आउट हुए 23 गेंदों पर 23 रन बनाके। अगले ओवर में अनिल कुंबले से वार्न को आउट करके स्थिति और भी उलट कर दी ऑस्ट्रेलिया के लिए। फिर आया सचिन का ओवर और डेमियन मार्टिन बने सचिन की जादुई गेंदबाज़ी के शिकार, सचिन की बल्लेबाज़ों को पढ़ने की प्रवीणता के शिकार। वो थे सचिन का पांचवा शिकार और ऑस्ट्रेलिया के लक्ष्यभेद की इच्छा के ताबूत की नौवीं कील।
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ये मैच का 44वां ओवर था, 46वें ओवर में श्रीनाथ वापस आये आखिरी दुआ सलाम करने को। हाँ, डेमियन फ्लेमिंग का विकेट गिरा, खिलाड़ियों ने एक दूसरे से हाथ मिलाये और फिर सचिन खेल के बाद के सम्मलेन में मैन ऑफ़ द मैच चुने गए। तो ये थी कहानी सचिन की जादुई गेंदबाज़ी की जिससे मनाया हमने सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन। लिखना ना भूलें हमें कि आपको ये कहानी कैसी लगी और वो कौन से क्षण थे सचिन के महान करियर के, जो हमेशा रहते हैं याद आपको।