भारत में कबड्डी की तरह ही एक और अनोखा खेल है और वो है खो-खो। यह खेल इंसान की फिटनेस चैक करने का सबसे बढ़िया खेल है साथ ही बहुच मज़ेदार भी है। आइये इस खेल के बारे में और अनोखी बातें जानते है।
खो-खो के खेल में एक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और उनमें से सिर्फ 9 खिलाड़ियों को ही फील्ड में खेलने की इजाज़त होती है। यह खेल एशियाई सब कांटिनेंट जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में बहुत चर्चित है। वैसे खो-खो दक्षिण अफ्रीका में भी खेला जाता है।
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खो-खो का मैदान
खो-खो के लिए 29 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़े मैदान की जरुरत होती है। मैदान के अंत में 16 मीटर × 2.75 मीटर के दो आयताकार होते हैं। मैदान के दोनों सिरे पर लकड़ी का पोल होता है और इसमें 30 C.M. × 30 C.M. के 8 वर्ग होते हैं।
खो-खो खेलने के लिए जरूरी चीज़ें
खो-खो खेलने के लिए सबसे पहले पिच की जरुरत होती है और उस पिच को बनाने के लिए इन चीजों की जरूरत होती है।
- 2 डंडे (लकड़ी या फिर लोहे की)
2. माप लेने वाली टेप
3. धागा
4.लाइम पाउडर
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5. स्टॉप वाच
6. किले
7. दो रिंग जो 30 सेंटीमीटर और 40 सेंटीमीटर के हो
8. स्कोर रिकॉर्ड करने के लिए स्टेशनरी
9.सीटी
रूल
खो-खो का मैच दो दलों के बीच खेला जाता है और इन दलों में खिलाड़ी एक दूसरे के विरुद्ध दिशाओं की ओर मुँह करके अपने अपने नियमित स्थान पर बैठ जाते हैं। इस खेल में हर टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और उनमें से 9 खिलाड़ी पिच पर खेलने उतरते हैं। हर टीम को एक-एक पारी के लिए सात मिनट दिए जाते हैं और नियमित समय में उस दल को अपनी पारी समाप्त करनी पड़ती है।
वहीं दोनों दलों की ओर से एक-एक खिलाड़ी खड़ा होता है, और सीटी बजते ही पीछा करने वाले दल का खिलाड़ी विपक्षी दल के खिलाड़ी को पकड़ने के लिए दौड़ता है। वहीं विपक्षी दल का खिलाड़ी पंक्ति में बैठे हुए खिलाड़ियों का चक्कर लगाता है। उसी वक्त जब पीछा करने वाला खिलाड़ी भागने वाले खिलाड़ी के निकट आता है, तब वह अपने दल के खिलाड़ी के पीछे जाकर ‘खो-खो’ शब्द बोलकर उसे उठकर भागने का इशारा करता है और पीछा करने वाला खिलाड़ी पहले को छोड़कर दूसरे का पीछा करने लगता है।