हिमा दास आज सभी की जबान पर ये नाम सुनने को मिल रहा है और हो भी क्यों न काम ही ऐसा किया है इस लड़की ने। ऐथलेटिक्स में लगातार 5 गोल्ड हासिल करके इतिहास रचने वाली हिमा दास का जज्बा और कहानी काफी दिलचस्प है। 19 साल की ये लड़की असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और इसी वजह से इस खिलाड़ी को ‘ढिंग एक्सप्रेस’ के नाम से पहचाना जाता है। दो साल पहले ट्रैक पर कदम रखने वाली इस ‘ढिंग एक्सप्रेस’ ने 19 दिन के अंदर 5 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस लड़की का खेल के प्रति जुनून देखकर आज हर खेल प्रेमी को खुशी मिल रही है। हिमा ने ये कारनामा दो साल में कर दिखाया है, खुशी की बात ये है कि हिमा ने रेसिंग ट्रैक पर 2 साल पहले ही कदम रखा था और इतनी जल्दी इस खिलाड़ी ने इतना बड़ा कारनामा किया।
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पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी
हिमा के पिता असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव में रहते हैं। पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है और इसी पर खेती कर परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा जब भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं।
खेतों में फुटबॉल खेलती थी
बचपन में हिमा दास लड़को के साथ मिलकर खेत में फुटबॉल खेला करती थीं। वहीं उनके स्कूल पीटी टीचर ने उन्हे रेसर बनने की सलाह दी। पर उस समय उनके पास पैसों की कमी की वजह से पहनने को जूते भी नहीं थे। स्थानीय कोच निपुन दास की सलाह मानकर हिमा ने जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता तो कोच भी हैरान रह गए। फिर निपुन दास को लगा की हिमा को अच्छी जगह प्रेक्टिस करनी चाहिए तो वह उसको लेकर गुवाहाटी आ गए।
हिमा का अंतरराष्ट्रीय करियर
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हिमा ने दो जुलाई को यूरोप में, सात जुलाई को कुंटो ऐथलेटिक्स मीट में, 13 जुलाई को चेक गणराज्य में और 17 जुलाई को टाबोर ग्रां प्री में अलग-अलग स्पर्धाओं में स्वर्ण जीता। कॉमनवेल्थ गेम्स में हिमा ने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और जीत दर्ज की। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह शामिल हुईं लेकिन छठे स्थान पर रहीं। हिमा बैंकॉक में एशियाई यूथ चैंपियनशिप में शामिल हुई थीं और 200 मीटर रेस में सातवें स्थान पर रही थीं। इसके साथ ही हिमा भारत की पहली महिला एथलीट हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में गोल्ड मेडल जीता है।