क्या कभी किसी ने सोचा हैं 135 करोड़ की आबादी वाले देश में कभी फुटबॉल क्यों नहीं खेला जाता ? आजादी के 72 साल बाद भी भारतीय देश वासियों में फुटबॉल को लेकर दीवानगी पैदा नहीं हुई। हर किसी के मन में ये सवाल उठना लाजिमी है, अब मन में फीफा विश्व कप के आंकड़ों को देखकर सवाल उठता है कि आखिर भारत फुटबॉल विश्व कप क्यों नहीं खेलता।
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सन् 1950 में भारत ने फुटबॉल विश्व कप में क्वालिफाई किया था, लेकिन उस वक्त भारतीय टीम खेलने नहीं पहुंची। वहीं इसके साथ ये भी कहा जाता है कि उस समय भारतीय टीम के पास खेलने के लिए जूते नहीं थे तो वह नंगे पैर ही फुटबॉल खेलती थी और फीफा विश्व कप में जूते पहनकर ही गेम में शामिल होना होता था। इसी वजह से फीफा ने भारतीय टीम पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन ये वजह गलत है असल में इसके पीछे की वजह तो भारतीय टीम को ब्राजील न भेजना था।
1950 में भारत ने फीफा विश्व कप में क्वालिफाई इसलिए कर लिया था क्योंकि उस वक्त कुछ टीमें टूर्नामेंट में भाग नहीं ले रही थीं और उस साल 3 जुलाई 1950 को विश्वकप के सभी लीग मैच भारत को समाप्त कर लेने थे।
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अब इसके पीछे की सच्चाई क्या है वो तो हमें भी नहीं पता लेकिन एक सच तो ये है कि तब से लेकर अब तक कोई भी भारतीय टीम फुटबॉल फीफा विश्व कप के करीब भी नहीं पहुंच सकी। उस वक्त फुटबॉल टीम के कप्तान रहे शैलेंद्र नाथ मन्ना का कहना है कि ‘अगर उस वक्त भारतीय टीम ने विश्वकप में हिस्सा लिया होता तो देश में फुटबॉल की तस्वीर ही बदल जाती’।
भारत में फुटबॉल की कम लोकप्रियता के लिए कई लोग क्रिकेट को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि क्रिकेट ने एक खाली पन्ने को भरा जिसके पन्नों ने सभी के दिलो में जगह बना ली। क्रिकेट ने देश को जश्न के कई मौके दिए हैं। 1950 के फैसले के बाद फुटबॉल देश में पिछड़ता गया और खेल प्रेमियों के दिल में खाली जगह क्रिकेट की सफलता ने भर दी।