२०१९ विश्व कप क्रिकेट के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण विश्व कप है। इस बार पहली बार क्रिकेट विश्व कप एक नए देश में जायेगा। क्रिकेट विश्व कप २०१९ के फ़ाइनल में कौन जीतेगा ये तो वक़्त बताएगा, पर एक महत्त्वपूर्ण बात ये है कि ये दोनों टीमों ने विश्व कप फ़ाइनल खेल रखा है। जहाँ अँगरेज़ टीम ने ३ विश्व कप फ़ाइनल खेले हैं जिसमें से दो लगातार थे, न्यूज़ीलैण्ड ने इस विश्व कप में लगातार अपना दूसरा फ़ाइनल खेलना है।
क्या हुआ था २०१५ विश्व कप में?
२०१५ विश्व कप ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड ने सह-मेज़बानी की थी। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के लिए ये दूसरा मौका था विश्व कप की मेज़बानी करने का। और घरेलु माहौल को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करने के लिए।
इस विश्व कप में बल्लेबाज़ों ने जो कोहराम मचाया था वो क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज़ है। मार्टिन गप्टिल का विश्व कप का सर्वोच्च स्कोर हो या यूनिवर्स बॉस क्रिस गेल का दोहरा शतक, या फ़िर संगकारा का चार शतकों का विश्व कीर्तिमान।
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सेमीफाइनल में दक्षिण अफ़्रीका,न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत की टीमें पहुंचीं। ख़िताब से दो कदम दूर दक्षिण अफ़्रीका और भारत की टीमें चूक गयीं जिससे ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड एक ऑल ओशियानिया फ़ाइनल में ख़िताब के लिए आमने सामने आये।
क्या हुआ ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में खेले गए २०१५ विश्व कप फ़ाइनल में?
इस बार लगातार दूसरी बार विश्व कप की ट्रॉफी मेज़बान देश में रह गया। इससे पहले २०११ विश्व कप में मेज़बान भारत विश्व कप ट्रॉफी जीत कर १९८३ की विश्व कप की जीत को दुहराया था।
दिन रविवार २९ मार्च २०१५, एकदिवसीय संख्या ३६४६, मेलबर्न का मैदान और ऑस्ट्रेलिया न्यूज़ीलैंड की भिड़ंत। ये ऑल ओशियानिया फ़ाइनल अपने आप में ही अनोखा था।
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जहां ऑस्ट्रेलिया के पास मिचेल जॉनसन थे जिनकी गेंदों ने विश्व क्रिकेट में अच्छी खासी तबाही मचा रखी थी। उनके अलावा मिचेल स्टार्क जो अपनी गेंदों की सटीकता के लिए जाने जाते हैं। बल्लेबाज़ी में वार्नर, स्टीव स्मिथ और कप्तान माइकल क्लार्क जैसे बेहद अच्छे बल्लेबाज़ थे।
दूसरी ओर न्यूज़ीलैंड के पास मार्टिन गप्टिल थे जिन्होंने इस विश्व कप में विश्व कप का सबसे बड़ा स्कोर बना डाला था। उनके अलावा केन विलियम्सन, रॉस टेलर, ब्रेंडन मैकलम, कोरी एंडरसन थे बल्लेबाज़ी के दांव खेलने को। गेंदबाज़ी में ट्रेंट बोल्ट, डैनिएल वेटरी अपने दम पर ये मैच जीतने लायक।
इससे पहले की कहानी देखें तो ऑस्ट्रेलिया ६ विश्व कप फ़ाइनल खेल चुकी थी जिसमें से चार बार वो विश्व विजेता बनी थी। वहीं न्यूज़ीलैंड ६ बार सेमीफाइनल खेल चुकी थी पर उनके क़दम इससे आगे नहीं बढे।
बहरहाल टॉस जीतकर न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करी। पर पहले खेलने वाली न्यूज़ीलैंड टीम ज़्यादा कुछ नहीं कर सकी। कीवी टीम ने पहले ओवर में ही मैकलम का विकेट गँवा दिया जब स्टार्क की गेंद मैकलम का विकेट ले उड़ी। ये तो बस ऑस्ट्रेलियाई आंधी का अंदेशा भर था, और इस बात का कि आगे क्या होने वाला है मैच में। हुआ बिलकुल वही जो ऑस्ट्रेलियाई समर्थक चाहते थे।
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ऑस्ट्रेलियाई आंधी आई और न्यूज़ीलैंड के सारे विकेट ले उड़ी। न्यूज़ीलैंड ग्रांट इलियट के ८३ और रॉस टेलर के ४० की साहसिक पारियों के बावज़ूद १८३ पर ऑल आउट हो गई।
ऑस्ट्रेलिया के लिए जॉनसन और फॉल्कनर के ३-३ विकेट चटकाए जबकि स्टार्क और मैक्सवेल ने क्रमशः २ और १ विकेट लिया।
१८४ का लक्ष्य भेदने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने माइकल क्लार्क के ७४, स्टीव स्मिथ के ५६ और डेविड वार्नर के ४५ की बदौलत यह लक्ष्य ३४वें ओवर में ही भेद दिया। जेम्स फॉल्कनर को नौ ओवर में ३६ रन देकर ३ विकेट लेने के लिए इस मुक़ाबले के महानायक की ख़िताब से नवाज़ा गया।