टीम इंडिया के बेहतरीन विकेटकीपर और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने आक्रामक फैसले से सबको चौंका देते हैं इन दिनों यह खबर आ रही है कि वे चैंपियंस ट्रॉफी के बाद भारतीय टीम को अलविदा कह सकते हैं। यूं तो कई बार बड़े टूर्नामेंट से पहले उनके भविष्य को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इस बार आसार कुछ मजबूत नजर आ रहे हैं। ये हैं इसके अहम कारण।
धौनी को क्रिकेटर बनाने वाले कोच का बयान
स्कूल के दिनों में महेंद्र सिंह धौनी को विकेटकीपिंग ग्लव्स थमाकर उन्हें फुटबॉल से क्रिकेट की ओर ले जाने वाले कोच केशव बेनर्जी धौनी से अच्छी तरह वाकिफ हैं। कुछ महीने पहले बेनर्जी ने मीडिया को दिए गए अपने बयान में संकेत दिए थे कि माही चैंपियंस ट्रॉफी के बाद क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं, बस ये उनके फॉर्म पर निर्भर करेगा। कोच बेनर्जी के मुताबिक धौनी हमेशा से उन खिलाड़ियों में रहे हैं जो नहीं चाहते कि उन पर कोई अंगुली उठाए, इसलिए इससे पहले ऐसी नौबत आए, माही खुद फैसला ले लेंगे।
कप्तानों का हुआ है बुरा हाल, धौनी नहीं चाहेंगे ऐसा
भारतीय क्रिकेट इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां कप्तानों का अंत निराशाजनक अंदाज में होता आया है। चाहे जितना महान खिलाड़ी क्यों न हो, उसकी कप्तानी अजीबोगरीब अंदाज में हाथ से जाती है। कपिल की टीम 1987 के विश्व कप सेमीफाइनल में हारी तो उनको कप्तानी से हटा दिया गया। 1996 में सचिन तेंदुलकर को कप्तान बनाने के लिए अजहर को कप्तानी से हटा दिया गया था, हालांकि बाद में फिर वो कप्तान बने और फिर मैच फिक्सिंग ने उनका करियर निगल लिया। सचिन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब उन्हें बिना बताए कप्तानी से हटाया गया था। 2007 में राहुल द्रविड़ को भी विश्व कप में टीम इंडिया के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद भारत लौटकर इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का भी हाल तो सबको याद है। एक गलत कोच (ग्रेग चैपल) भारतीय क्रिकेट से जुड़ा और उसने ऐसी फूट डाली कि 2005 में गांगुली जैसे दिग्गज कप्तान से न सिर्फ ये जिम्मेदारी छीनी गई बल्कि टीम से बाहर कर दिया गया। जाहिर तौर पर धौनी के करियर में अब तक उन्होंने जो फैसले लिए, वो खुद से लिए हैं और वो ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनके साथ भी ऐसा हो।