आज बात करते हैं उन 8 महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। एक सतत खेलप्रेमी भी जानता है कि ओलिंपिक में प्रदर्शन किसी भी खिलाडी या टीम के जीवन की सबसे अनमोल पूँजी होती है। ये वो प्रदर्शन हैं जो खिलाड़ी और टीम को सालों ज़िंदा रखते हैं लोगों की यादों में, लोगों की बातों में।
वैसे तो अकेले खेले जाने वाले खेलों में भी ढेरों ऐसे प्रदर्शन रहे हैं जिन्होंने लोगों को प्रेरित किया है सालों तक, टीम खेलों के प्रदर्शन ने शायद उनसे ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है। हॉकी में भारत ने विश्व का नेतृत्व किया है दशकों तक जिसमें ज्यादातर जीत एकतरफा रही है। तो ये हैं वो महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत:
8. वासुदेवन भास्करन– मॉस्को 1980
वासुदेवन भास्करन भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1980 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में वासुदेवन भास्करन के नेतृत्व में भारत ने 6 मैच खेले जिनमे से उन्होंने 4 जीते और 2 मैच ड्रॉ किये। भारतीय टीम ने तो तंज़ानिया और क्यूबा के ख़िलाफ़ क़त्ल-ए-आम मचा दिया पहले दो मैचों में, जबकि अगले दो मैच पोलैंड और स्पेन के ख़िलाफ़ वाले बराबरी पर छूटे 2-2 और 1-1 की। पांचवें मैच में मेज़बान रूस के ख़िलाफ़ उन्होंने 4-2 की आसान जीत पायी।
जुलाई 29, 1980 को भारत और स्पेन ओलिंपिक हॉकी टूर्नामेंट के फ़ाइनल में एक दूसरे के सामने आये। दोनों टीमों के प्रशंसकों को उनकी टीम के जीत की उम्मीद थी पर वो भारत था जो हॉकी स्टिक की कलाकारी में विजयी हुआ। भारत ने मैच 4-3 से जीत कर मेडल पोडियम के सबसे ऊँचे स्थान पर खड़े होने का सम्मान पाया। सुरिंदर सिंह सोढ़ी ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल किये जबकि गोल सहायता के दिग्गज़ और अस्सी के दशक के ध्यानचंद कहे जाने वाले मो. शाहिद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तरह भास्करन जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
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7. चरणजीत सिंह– टोक्यो 1964
चरणजीत सिंह भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में चरणजीत सिंह के नेतृत्व में भारत ने 9 मैच खेले जिनमे से उन्होंने 7 जीते और 2 मैच ड्रॉ किये। भारतीय टीम ने तो बेल्ज़ियम के ख़िलाफ़ आसान 2-0 की जीत से शुरुआत की, जबकि अगले दो मैच जर्मनी और स्पेन के ख़िलाफ़ वाले बराबरी पर छूटे 1-1 की। चौथे, पांचवें और छठा मैच आसान रहा भारत के लिए हांगकांग, मलेशिया और कनाडा के ख़िलाफ़।
सातवें मैच में भारत के सामने थी हॉलैंड की टीम और ये टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल का फैसला करने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण मैच था। भारत ने ये मैच 2-1 से जीत कर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल का मुक़ाबला सेट किया। और सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हरा कर भारत पहुंचा ओलिंपिक हॉकी टूर्नामेंट के फ़ाइनल में।
यहाँ भारत का मुक़ाबला चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से था अक्टूबर 23 को जोकि किसी लिहाज़ से कमज़ोर टीम नहीं थी। पर ड्रिब्लिंग, पासिंग और गोल स्कोरिंग के इस महा मुक़ाबले में भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से हरा कर ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। पृथीपाल सिंह ने सबसे ज्यादा गोल किये टूर्नामेंट में। इस तरह चरणजीत सिंह जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
6. बलबीर सिंह दोसांझ– मेलबर्न 1956
बलबीर सिंह दोसांझ भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1956 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में बलबीर सिंह दोसांझ के नेतृत्व में भारत ने 5 मैच खेले और सभी पांच में विजयी हुए, भारत का विजय चक्र टूर्नामेंट जीतने के साथ ख़त्म हुआ । भारतीय टीम ने तो अफ़ग़ानिस्तान और अमेरिका के ख़िलाफ़ 14-0 और 16-0 की प्रचंड जीत से शुरुआत की, फिर अगले दो मैच सिंगापुर और पूर्वी जर्मनी के ख़िलाफ़ वाले 6-0 और 1-0 से अपने नाम किया।
पांचवें मैच में भारत के सामने थी पाकितान की टीम और ये टूर्नामेंट का फ़ाइनल था दिसंबर 6, 1956 को। भारत ने ये मैच 1-0 से जीत कर टूर्नामेंट का ताज़ लिया और ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। उधम सिंह कुलर ने सबसे ज्यादा गोल किये टूर्नामेंट में। इस तरह बलबीर सिंह दोसांझ जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
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5. केडी सिंह बाबू– हेल्सिन्की 1952
1952 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू के नेतृत्व में भारत ने 3 मैच खेले और सभी तीन में विजयी हुए, भारत का विजय चक्र टूर्नामेंट जीतने के साथ ख़त्म हुआ। भारत की स्वतंत्रता के बाद का ये दूसरा ओलिंपिक था और आज़ाद भारत दूसरी बार ओलिंपिक हॉकी खेल रहा था। भारतीय टीम ने तो ऑस्ट्रिया और ब्रिटिश टीम के ख़िलाफ़ 4-0 और 3-1 की आसान जीत के साथ टूर्नामेंट फ़ाइनल में कदम रखे।
पांचवें मैच में भारत के सामने थी हॉलैंड की टीम और ये टूर्नामेंट का फ़ाइनल था जुलाई 24, 1952 को। भारत ने ये मैच 6-1 से जीत कर टूर्नामेंट का ताज़ लिया और ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। जीत का श्रेय जाता है इस मैच में 5 गोल करने वाले महान बलबीर सिंह दोसांझ को जिन्होंने सबसे ज्यादा गोल भी किये टूर्नामेंट में। इस तरह केडी सिंह बाबू जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
4. किशन लाल– लंदन 1948
किशन लाल भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में किशन लाल के नेतृत्व में भारत ने 5 मैच खेले और सभी में विजयी हुए, भारत का विजय चक्र टूर्नामेंट जीतने के साथ ख़त्म हुआ। भारत की स्वतंत्रता के बाद का ये पहला ओलिंपिक था और आज़ाद भारत पहली बार ओलिंपिक हॉकी खेल रहा था। भारतीय टीम ने तो ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना और स्पेन टीम के ख़िलाफ़ 8-0, 9-1 और 2-0 की आसान जीत के साथ टूर्नामेंट सेमिफ़ाइनल में कदम रखे।
चौथे मैच में भारत के सामने थी नीदरलैंड की टीम और ये टूर्नामेंट का सेमिफ़ाइनल था । भारत ने ये मैच 2-1 से जीत कर टूर्नामेंट का आख़िरी मुक़ाबला तय किया मेज़बान ब्रिटिश टीम के ख़िलाफ़। भारत ने फ़ाइनल 4-0 से जीत कर ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। जीत का श्रेय जाता है इस मैच में 3 गोल करने वाले महान बलबीर सिंह दोसांझ को जिन्होंने सबसे ज्यादा गोल भी किये टूर्नामेंट में। इस तरह किशन लाल जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
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3. ध्यानचंद– बर्लिन 1936
ध्यानचंद भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में हाथों के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत ने 5 मैच खेले और सभी में विजयी हुए, भारत का विजय चक्र टूर्नामेंट जीतने के साथ ख़त्म हुआ। भारत के ख़िलाफ़ टूर्नामेंट में बस एक ही गोल कर पाई विपक्षी टीम। भारत का ये तीसरा ओलिंपिक था ओलिंपिक हॉकी में। भारतीय टीम ने तो हंगरी, अमेरिका और जापान टीम के ख़िलाफ़ 4-0, 7-0 और 9-0 की प्रचंड जीत के साथ टूर्नामेंट सेमिफ़ाइनल में कदम रखे फ़्रांस के ख़िलाफ़।
चौथे मैच में भारत के सामने थी फ़्रांस की टीम और ये टूर्नामेंट का सेमिफ़ाइनल था । भारत ने ये मैच 10-0 से जीत कर टूर्नामेंट का आख़िरी मुक़ाबला तय किया मेज़बान जर्मनी टीम के ख़िलाफ़ अगस्त 15, 1936 को। भारत ने फ़ाइनल 8-1 से जीत कर ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। ये वो एकमात्र मैच था जब भारत के ख़िलाफ़ कोई गोल हुआ।
जीत का श्रेय जाता है इस मैच में 3 गोल करने वाले महान ध्यानचंद को जिन्होंने सबसे ज्यादा गोल भी किये टूर्नामेंट में। इस तरह ध्यानचंद जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
2. लाल शाह बुख़ारी– लॉस एंजेल्स 1932
लाल शाह बुख़ारी भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1932 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में लाल शाह बुख़ारी के नेतृत्व में भारत ने 2 मैच खेले और ओलिंपिक चैंपियन बना। भारत के ख़िलाफ़ टूर्नामेंट में 2 गोल कर पाई विपक्षी टीम। भारत का ये दूसरा ओलिंपिक था ओलिंपिक हॉकी में। भारतीय टीम ने जापान टीम के ख़िलाफ़ 11-1 की प्रचंड जीत के साथ टूर्नामेंट जीत का मैच सेट किया मेज़बान अमेरिका से।
दूसरे मैच में भारत के सामने थी अमेरिका की टीम और ये टूर्नामेंट का फ़ाइनल था अगस्त 11, 1932 को। भारत ने ये मैच 24-1 से जीत कर ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। टूर्नामेंट जीत का श्रेय जाता है महान ध्यानचंद के भाई रूप सिंह को जिन्होंने ने सबसे ज्यादा गोल भी किये टूर्नामेंट में और ध्यानचंद को। इस तरह लाल शाह बुख़ारी जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
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1. जयपाल सिंह– एम्स्टर्डम 1928
जयपाल सिंह भी हैं वो भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत। 1928 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में जयपाल सिंह के नेतृत्व में भारत ने 5 मैच खेले और ओलिंपिक चैंपियन बना। भारत के ख़िलाफ़ टूर्नामेंट में कोई भी गोल नहीं कर पाई विपक्षी टीम। भारत का ये ओलिंपिक में पदार्पण था ओलिंपिक हॉकी में। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क और स्विट्ज़रलैंड टीम के ख़िलाफ़ 6-0, 9-0, 5-0 और 6-0 की प्रचंड जीत के साथ टूर्नामेंट फ़ाइनल मैच सेट किया मेज़बान नीदरलैंड से।
पांचवा मैच था ये भारत का और उनके सामने थी नीदरलैंड की टीम टूर्नामेंट के फ़ाइनल में मई 26, 1928 को। भारत ने ये मैच 3-0 से जीत कर ओलिंपिक चैंपियन का गौरव पाया। टूर्नामेंट जीत का श्रेय जाता है महान ध्यानचंद को जिन्होंने ने सबसे ज्यादा गोल किये टूर्नामेंट में। इस तरह लाल शाह बुख़ारी जुड़े उस सूची से जिसमें हैं महान भारतीय हॉकी कप्तान जिनके नाम है ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत।
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